मौलिक अधिकार किसे कहते हैं? | Maulik Adhikar Kise Kahate Hain

मौलिक अधिकार किसे कहते हैं: क्या आपने आज पहली बार मौलिक अधिकार शब्द सुना है यदि आज आपने यह मौलिक अधिकार शब्द सुना है तो क्या आपको पता है कि मौलिक अधिकार किसे कहते हैं। भारत में बहुत सारे ऐसे व्यक्ति है जिनको यह नहीं पता है कि मौलिक अधिकार किसे कहते हैं|

यह पता होना चाहिए क्योंकि कई बार मौलिक अधिकार किसे कहते हैं यह भारतीय परीक्षाओं में यह सवाल आ चुका है | लेकिन बहुत ही काम ऐसे विद्यार्थी से जिनको मौलिक अधिकार के बारे में सही ज्ञान था | इसलिए आपको मौलिक अधिकार के पास पता होना चाहिए|

हमने लंबे समय से कई सारी किताबों में पड़कर तथा वेबसाइट से मौलिक अधिकार के बारे में जाना है |

उसके बाद ही हमने यह लिख तैयार किया है ताकि आपको एक सही जानकारी साझा की जा सके इस लेख में आपको मौलिक अधिकारों से जुड़ी हुई जानकारी विस्तार से मिलने वाली है|

मौलिक अधिकार किसे कहते हैं? | Maulik Adhikar Kise Kahate Hain

मौलिक अधिकार वह मूल अधिकार होते हैं जो किसी भी देश के संविधान के द्वारा वहां के रहने वाले नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं |

मौलिक अधिकार पर पहला हक देश के नागरिकों का होता है | मौलिक अधिकारों के जरिए देश के हर नागरिक को एक विशेष दर्जा प्राप्त होता है|

जिस प्रकार से एक जीवन जीने के लिए हर जीव जंतु तथा मनुष्य को पानी की आवश्यकता होती है इस प्रकार से मनुष्य को अपने विकास के लिए मौलिक अधिकारों की आवश्यकता होती है |

भारत देश के संविधान के मुताबिक भाग (अध्) 3 में अनुच्छेद 12 और अनुच्छेद 35 में सभी व्यक्तियों के लिए मौलिक अधिकारों की बात की गई है|

भारत में कोई सी भी सरकार या राज्य सरकार ऐसा कोई भी कानून नहीं बन सकती है जो की मौलिक अधिकारों को आघात पहुंचा जा सके |

मौलिक अधिकारों के मामले में कोई सी भी भारतीय राज्य सरकार अपना हस्तक्षेप नहीं कर सकती है | राज्य सरकार केवल अपना सुझाव जारी कर सकती है|

मौलिक अधिकार किसे कहते हैं
मौलिक अधिकार किसे कहते हैं

भारत देश में मौलिक अधिकारों की सुरक्षा पूरी तरह सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा की जाती है | लेकिन भारतीय संसद संविधान में कुछ संशोधन कर सकती है |

भारत में जो सरकार पूर्ण बहुमत के साथ है वह भारत के संविधान में संशोधन करते हुए मौलिक अधिकारों को सीमित कर सकती है|

किसी भी दृष्टि के साथ मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता यदि कोई सरकार मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है तो भारतीय सर्वोच्च न्यायालय इस पर अपनी पूरी प्रतिक्रिया देता है | सरकारों को फटकार भी सुनता है|

मौलिक अधिकार की परिभाषा क्या है?

भारत के संविधान के द्वारा मौलिक अधिकार की कोई भी परिभाषा वर्णित नहीं है | लेकिन फिर भी भारतीय कुछ विज्ञानों के बताए मौलिक अधिकार को निम्न अनुसार परिभाषित किया गया है|

डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुसार- यदि कोई व्यक्ति मुझसे पूछता है कि संविधान का वह कौन सा अनुच्छेद है जिसके बिना संविधान शुन्यप्राय हो जाएगा प्रिया हो जाएगा |

तो वह कहते हैं क्या अनुच्छेद 32 को छोड़कर मैं किसी और अनुच्छेद की छोड़कर मैं किसी और अनुच्छेद की ओर संकेत नहीं कर सकता हूं क्योंकि यह अनुच्छेद संविधान का हृदय तथा आत्मा माना जाता है|

  • श्री ए.एन.पालकीपाल के अनुसार- भारतीय संविधान भारत के सभी साधारण नागरिकों की सुरक्षा करने का कवच है|
  • न्यायाधीश के. सुब्बाराव के अनुसार- परंपरागत प्राकृतिक अधिकारों का नाम ही भारतीय संविधान है जैसे हम मौलिक अधिकार भी कह सकते हैं|
  • हाॅब हाउस के अनुसार- संविधान हर व्यक्ति को उसका अधिकार तथा कर्तव्य जीने का पूरी तरह हक देता है|

मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं?

भारतीय संविधान में कुल 7 मौलिक अधिकार हर नागरिक को दिए हैं | लेकिन संपति के अधिकार को वर्ष 1978 में संविधान के तीन भागों में बांट दिया गया था | भारतीय सरकार ने इसे 44 वां संविधान संशोधन के तहत हटाया था|

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण – भारतीय संविधान में वर्तमान समय में कुल 6 मौलिक अधिकार हैं जो की निम्नलिखित है जिन आप नीचे की ओर देख सकते हैं|

  1. समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

मौलिक अधिकार की आवश्यकता क्या है?

जिस किसी देश के संविधान में मौलिक अधिकार नहीं होते हैं उसे देश की सरकार तानाशाही अपनी ही जनता पर दिखती है | वही एक व्यक्ति को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए उसे मौलिक अधिकारों की आवश्यकता होती है|

जब किसी व्यक्ति के पास उसके मौलिक अधिकार होते हैं तो वह व्यक्ति कभी भी किसी से भी अपने अधिकारों की बात कर सकता है दुनिया के बहुत सारे ऐसे देश हैं |

जहां पर संविधान को नहीं माना जाता है यही कारण है कि उसे देश की जनता को उनके मौलिक अधिकार नहीं मिल पाते हैं|

मौलिक अधिकारों का उद्देश्य क्या है?

जब कभी राज्य सरकार या देश में बैठी हुई सरकार मनमानी करती है तो उसके खिलाफ यह मौलिक अधिकार काम करते हैं हर व्यक्ति उसे सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकता है | क्योंकि मौलिक अधिकार हर व्यक्ति को पूरी स्वतंत्रता देते हैं|

मौलिक अधिकारों का महत्व क्या है?

यदि देखा जाए तो मौलिक अधिकारों का निम्नलिखित महत्व है जिनमें कुछ इस प्रकार है|

  • यह सामाजिक समानता स्थापित करता है|
  • राज्य सरकार या देश में बैठी हुई सरकार के द्वारा सूचित करने वाले नीतियों पर पूरी तरह अंकुश लगाने का कार्य करता है|
  • व्यक्ति तथा समुदाय के किसी भी व्यक्ति का शोषण हो रहा है तो उसे पर पूरी तरह रोक लगाता है|
  • महिलाओं के उनके अधिकार दिलाने का कार्य करता है|
  • महिलाओं को समान अधिकार दिलाता है|
  • भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला है|

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मौलिक अधिकार किसे कहा जाता है और यह कितने हैं।

भारतीय संविधान के द्वारा भारतीय नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं | मौलिक अधिकारों के ही द्वारा भारतीय हर नागरिक को समान अधिकार मिलते हैं इसी को मौलिक अधिकार कहा जाता है|

भारतीय 6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं?

  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण बताएं?

यदि आप भारतीय मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण जानना चाहते हैं तो नीचे की ओर देख सकते हैं|

  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए?

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन निम्नलिखित है जो कि आप नीचे की ओर देख सकते हैं|

  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

मौलिक अधिकारों को मौलिक क्यों कहा जाता है?

भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय हर नागरिक के मौलिक अधिकारों को मौलिक इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह स्वतंत्र आजादी रखता है|

6 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?

भारतीय संविधान के अनुसार मौलिक अधिकार 6 के होते हैं जो की निम्नलिखित हैं|

  • समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
  • स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
  • संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

अंतिम लाइन

हमारे द्वारा लिखी गई यह सामग्री केवल आपकी सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए साझा की गई है |

यदि आपको मौलिक अधिकारों के बारे में विस्तार से जानकारी चाहिए तो आप भारतीय संविधान पढ़ सकते हैं वहां आपको मौलिक अधिकार से जुड़ी जानकारी विस्तार से साझा की गई है|