श्री पितर जी की आरती | Pitar Ji Ki Aarti in Hindi

Pitar Ji Ki Aarti in Hindi: प्राचीन काल से ही भारत देश में अपने पूर्वजों की याद में पूजा की जाती हैं। हालांकि प्राचीन काल से ही सनातन धर्म मानने वाले लोग ही इस पूजा को करते हैं | हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विनी महीने के कृष्ण पक्ष को श्राद्ध के रूप में जाना जाता है|

इस महीने के प्रत्येक दिन को पूर्वजों की तिथि के रूप में सम्मानित किया जाता है जिस दिन पूर्वजों का निधन हुआ था | उसे दिन उनकी याद में पूजा की जाती है पद्म पुराण के अनुसार अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए कुछ श्री पितर चालीसा का पाठ करते हैं|

वहीं कुछ लोग प्रतिदिन अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति और खुश रखने के लिए श्री पितर जी की आरती करते हैं | प्राचीन समय में भगवान श्री राम और पांडव अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध अनुष्ठान करने के लिए पुष्कर गए थे | तभी से सनातन धर्म में श्री पितर जी की पूजा की जाती है|

श्री पितर जी की आरती | Pitar Ji Ki Aarti in Hindi

Shri Pitar Aarti: सनातन धर्म में अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति और खुश रखने के लिए पितरों की चालीसा, पितृ सूक्त का पाठ और पितृ कवच पाठ किया जाता हैं | और बाद में भगवान श्री पितृ जी की आरती उतारी जाती है | यह आरती सबसे ज्यादा प्रचलित मानी जाती है तो आओ पढ़ते हैं पितरों की की आरती|

Pitar Ji Ki Aarti in Hindi

॥ श्री पितर आरती ॥

जय जय पितरजी महाराज,मैं शरण पड़यो हूँ थारी।

शरण पड़यो हूँ थारी बाबा,शरण पड़यो हूँ थारी॥

आप ही रक्षक आप ही दाता,आप ही खेवनहारे।

मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू,आप ही हो रखवारे॥

जय जय पितरजी महाराज।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,करने मेरी रखवारी।

हम सब जन हैं शरण आपकी,है ये अरज गुजारी॥

जय जय पितरजी महाराज।

देश और परदेश सब जगह,आप ही करो सहाई।

काम पड़े पर नाम आपको,लगे बहुत सुखदाई॥

जय जय पितरजी महाराज।

भक्त सभी हैं शरण आपकी,अपने सहित परिवार।

रक्षा करो आप ही सबकी,रटूँ मैं बारम्बार॥

जय जय पितरजी महाराज।

भगवान श्री पितरों जी को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

प्राचीन काल से ही अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति और खुश रखने के लिए पूरी विधि विधान से पूजा की जाती है | क्योंकि अपने पूर्वजों की पूजा करने से आशीर्वाद मिलता है और घर पर सुख शांति बनी रहती है|

Pitar Ji Ki Aarti in Hindi
Pitar Ji Ki Aarti in Hindi

यदि आप भगवान श्री पितरों की को खुश करना चाहते हैं तो आपको उनको खुश करने के लिए जरूरतमंदों को भोजन करना दान या गरीब कन्याओं का विवाह करने में उनकी मदद करना भगवान श्री पितरों खुश हो जाते हैं|

आपको प्रतिदिन अपने घर में शाम के समय में दक्षिण दिशा में कुछ तेल के दीए जलाने होगे यदि आप प्रतिदिन ऐसा करते हैं तो आप पर पितरों जी की कृपा बनी रहेगी|

घर की शांति के लिए आपको दोपहर के समय में पीपल के पेड़ की पूजा करनी होगी आपको पीपल के पेड़ की पूजा करने के लिए गंगाजल में काले तिल, दूध और कुछ फूल लेने होंगे और इसे पूजा करनी होगी ऐसा करने पर आपके घर में सुख शांति बनी रहती है|

अपने घर में पितरों जी की एक तस्वीर लगे जो कि दक्षिण दिशा में लगी होनी चाहिए और प्रतिदिन पितरों जी से अपनी गलती की क्षमा मांगा ऐसा करने से आपकी सभी गलती पितृ जी महाराज कम कर देते हैं|


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पितरों के लिए कौन सा मंत्र बोला जाता है?

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श्री पितृ के मंत्र

1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

3. ॐ पितृ देवतायै नम:।

4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

श्री पितृ गायत्री मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

7. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

श्री पितृ कवच

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम्जा मिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

पितरों को जल देने का मंत्र | Pitru Paksha Jal Dene Ka Mantra

प्राचीन काल से ही पितृ भगवान को जल देने के लिए सवेरे पानी में काले तिल डालकर अर्पित किया जाता है | लेकिन चल अर्पित करते समय आपको पितृ जी का जल देने का मंत्र जब करना होगा ऐसा करने से पितरों महाराज की आत्मा को शांति मिलती है|

अस्मत्पितामह वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए 3 बार जल दें।

पितृ दोष होने पर क्या होता है?

जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष हो जाता है उसे व्यक्ति के घर में सुख शांति नहीं रहती है | हर नया काम गलत होने लगता है और बुरी संगति में व्यक्ति पड़ जाता है |

नौकरी तथा व्यापार में बुरी दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है | अधिकतर कामों में बाधा आ रहती हैं | घर के आसपास झगड़ा होने लगते हैं इसीलिए सदैव पितृ भगवान को खुश रखना चाहिए|

श्री पितर जी की आरती | Pitar Ji Ki Aarti in Hindi

Disclaimer: हमारे द्वारा साझा की गई यह सामग्री वेद के अनुसार प्राप्त की गई है कुछ सामग्री हमने इस लेख में ऋषि मुनियों के द्वारा बताए गए मंत्र साझा किए हैं |

यदि आपको इसलिए को लेकर कोई भी परेशानी है तो आप हमें कमेंट बॉक्स के जरिए बता सकते हैं ताकि हम किसी आपके सवाल का आंसर देने की कोशिश कर सकें|

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